October 2017 Edition

नए शोध के नतीजे हम सबके लिए बड़ी चेतावनी


 


                                                                                               


भूजल स्तर में लगातार हो रही गिरावट के बीच हाल में हुए एक शोध में इसके तेजी से प्रदूषित होने के बारे में भी पता लगा है. इंडिया साइंस वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय और ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह शोध बताता है कि भूजल में नाइट्रेट, क्लोराइड, फ्लोराइड, आर्सेनिक, सीसा, सेलेनियम और यूरेनियम जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है. यही नहीं, इसमें विद्युत चालकता और लवणता का स्तर भी अधिक पाया गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार भूजल में सेलेनियम की मात्रा 10-40 माइक्रोग्राम प्रति लीटर और मॉलिब्डेनम की मात्रा 10-20 माइक्रोग्राम प्रति लीटर पाई गई है. इसके अलावा इसमें लगभग 0.9-70 माइक्रोग्राम प्रति लीटर यूरेनियम की सांद्रता होने का भी पता चला है. अध्ययनकर्ताओं की टीम में जी कृष्ण और एमएस राव के अलावा ब्रिटिश भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान के डीजे लैपवर्थ और एएम मैकडोनाल्ड शामिल थे. अपने शोध के लिए उन्होंने पंजाब में सतलुजव्यास नदी और शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित नौ हजार वर्ग किलोमीटर में फैले बिस्त-दोआब क्षेत्र को चुना था. इस अध्ययन में जलभूत (एक्राफर) के ऊपरी 160 मीटर हिस्से में मौजूद तत्वों का रासायनिक विश्लेषण किया गया है. अध्ययन क्षेत्र में कृषि, शहरी, ग्रामीण और मध्य मैदानों समेत कुल 19 अलगअलग तरह के क्षेत्रों की भूमि शामिल थी. इन भागों में उथले (0-50 मीटर) और गहरे ( 60-160 मीटर) एक्लाफरों से जल के नमूने एकत्र करके भूजल प्रदूषण का अध्ययन किया गया. पृथ्वी की सतह के भीतर स्थित उस संरचना को एक्लाफर कहते हैं जिसमें मुलायम चट्टानों और छोटे-छोटे पत्थरों के बीच में भारी मात्रा में जल भरा रहता है. एक्लाफर की सबसे ऊपरी परत को वाटर-लेबल स्वच्छ भूजल एक्लाफर में ही पाया जाता है. भूजल में रासायनिक प्रदूषण बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण भूमिगत जल के अंधाधुंध दोहन, रासायनिक उर्वरकों के उपयोग और सतह पर औद्योगिक कचरा बहाए जाने को मानते हैं. वैज्ञानिकों ने इस बात के भी स्पष्ट प्रमाण दिए हैं कि मानवजनित और भू-जनित हानिकारक तत्व तलछटीय एक्लाफर तंत्र से होकर गहरे एक्लाफरों में पहुंच रहे हैं. लगातार दोहन से भूजल का स्तर गिरता है जिससे उथले या ऊपरी एक्लाफरों की खाली जगह में हवा भरने से उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है. इसे ऑक्सिक भूजल कहते हैं. ऑक्सिक भूजल के कारण नाइट्रेट या नाइट्राइट का गैसीय नाइट्रोजन में परिवर्तन सीमित हो जाता है. इससे उथले भूजल में सेलेनियम और यूरेनियम जैसे तत्वों की गतिशीलता बढ़ जाती है. वहीं, गहरे एक्लाफरों तथा शहरी क्षेत्र के उथले एक्लाफरों में मिलने वाली यूरेनियम की अधिक मात्रा का संबंध उच्च बाइकार्बोनेट युक्त जल से पाया गया है. प्राप्त परिणाम उत्तर-पश्चिम भारत में भूजल के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. लेकिन, भूजल में सेलेनियम, मॉलिब्डेनम और यूरेनियम जैसे खतरनाक तत्वों का अधिक मात्रा में मिलना काफी ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि गहरे एक्लाफरों के प्रदूषित होने पर भूजल की गुणवत्ता सुधरने में बहुत समय लग जाता है. यानी यह और भी बड़ी चेतावनी है क्योंकि भूजल का स्तर तो गिर ही रहा है, बचा हुआ भूजल भी खतरनाक रूप से प्रदूषित हो रहा है.