किसानों के पक्ष में खड़ा है पूरा देश, भूख हड़ताल ने एक बार फिर साबित किया
आज 14 दिसंबर है, आज ही के दिन सन 1911 में रोआल्ड एमंडसन ने दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा था और आज ही के दिन 1995 में बोस्निया, सर्बिया और क्रोएशिया ने पेरिस में डेटन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिससे तीन वर्ष से उनके बीच चल रहे संघर्ष का अंत हो गया था। लेकिन भारत में आज का दिन एक दूसरे रूप में दर्ज हो गया जब भारत के किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे जन आंदोलन के 19 वें दिन सामूहिक उपवास किया। सिंघू बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे किसानों ने पानी पीकर और फल खाकर अपना एक दिन का उपवास तोड़ा।
उपवास तोड़ने के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता मंजीत सिंह ने कहा कि, यह सरकार को किसानों का सन्देश है कि उसकी नीतियों के कारण आज अन्नदाताओं को उपवास करना पड़ा सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेना पड़ेगा।
आज उपवास तोड़ने के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, सरकार की तरफ से अभी कोई प्रस्ताव नहीं आया है, आज का कार्यक्रम सफल रहा सरकार को किसानों की बात सुननी पड़ेगी। आज सुन लें चाहे दस दिन बाद सुन ले। किसान यहां से वापस नहीं जाने वाले जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।
इस बीच, आज देश भर में किसानों के समर्थन में आंदोलन जारी रहा और कई जगह सड़कें और हाईवे बंद हुए। उत्तर प्रदेश में आज किसान आंदोलन का अच्छा ख़ासा प्रभाव देखने को मिला। कई जगहों पर गिरफ्तारियां हुईं। समाजवादी पार्टी के नेता अतुल प्रधान को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजीव राय को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। राजीव राय ने ट्वीट कर लिखा कि, “आश्वासन और अनुशासन के बावजूद कायर सरकार ने मुझे गिरफ़्तार कर लिया है, योगी जी आप रोते थे हम ना रोने वाले, ना डरने वाले हैं।”
समाजवादी पार्टी ने कहा कि यूपी के सभी जिलों में पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत किसानों के समर्थन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन, ज्ञापन देने जा रहे सपाइयों पर लाठीचार्ज, गिरफ्तारी लोकतंत्र की हत्या है। चाहे जितना दमन, अत्याचार कर लें तानाशाह सीएम, अन्नदाता से अन्याय पर सड़क से लेकर सदन तक जारी रहेगा समाजवादियों का संघर्ष।
वहीं राजस्थान में भी आज के आंदोलन का ख़ासा असर पड़ा। ऑल इंडिया किसान सभा और छात्र संगठन एसएफआई ने हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर शाहजहाँपुर के पास प्रदर्शन किया। वहीं, मध्यप्रदेश में भी आज जगह-जगह किसान और मजदूर संगठनों ने इन कानूनों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और तीनों कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की। मध्यप्रदेश के इंदौर, नरसिंहपुर में भी किसानों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया।
इधर, जब देश भर में कृषि कानूनों के खिलाफ उपवास और प्रदर्शन चल रहा था कृषि मंत्री कृषि भवन में हरियाणा के एमपी औए विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे।
इधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि किसानों को बदनाम करने के लिए कहा जाता है कि किसान आतंकवादी हैं, देशद्रोही हैं, किसान टुकड़े-टुकड़े गैंग और चीन-पाकिस्तान के एजेंट हैं। उन्होंने कहा कि, इन्हीं किसानों के भाई-बेटे चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर पर बैठकर देश की सुरक्षा कर रहे हैं।
वहीं सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कृषि मंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि, जिनको यही नहीं पता कि किसान कौन हैं, वे कृषि मंत्री कैसे बन गये? येचुरी ने कहा कि किसान अपने ट्रैक्टर लेकर आ रहे हैं। ट्रैक्टर किसके पास होता है? किसानों के पास। वे आ रहे हैं, लंगर लगा रहे हैं, अपना विरोध जता रहे हैं, उनकी मांग जायज है।
सरकार अपनी जनता को बेसहारा नहीं छोड़ सकती
स्वराज अभियान के नेता अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने राजस्थान-हरियाणा बार्डर पर सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी सरकार अपनी जनता को बेसहारा नहीं छोड़ सकती। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने किसानों की उपज की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी करे। इसके लिए उसे अपने बजट का महज ढ़ाई से तीन लाख करोड़ रूपया खर्च करना होगा। लेकिन अम्बानी और अडानी की सेवा में लगी मोदी सरकार इस न्यूनतम काम को भी नहीं कर रही है। आज किसान विरोधी तीनों कानून की वापसी, एमएसपी पर कानून और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने की मांग जनता की मांग बन गई है। इसलिए सरकार को किसानों को बदनाम करने, उनके खिलाफ दुष्प्रचार चलाने और उनका दमन करने की जगह इन मांगों को पूरा करना चाहिए।
अखिलेन्द्र ने कहा कि हिन्दुस्तान के इतिहास में किसानों का यह आंदोलन एक नए किस्म का आंदोलन है, जो किसान विरोधी काले कानूनों के खात्मे के साथ मजदूर विरोधी लेबर कोड समेत राजद्रोह, यूएपीए, एनएसए जैसे सभी काले कानूनों के विरूद्ध भी आवाज उठा रहा है। इस आंदोलन ने सरकार की कारपोरेट परस्त नीतियों और चरित्र को उजागर कर दिया है। यह आंदोलन देश में राजनीति की दिशा को बदलने का काम करेगा।
वहीं इसी बीच अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति ने केन्द्रीय कृषि मंत्री को नये कृषि कानूनों के समर्थन का ज्ञापन देकर नया खेला शुरू कर दिया है।
बता दें कि किसानों के इस आन्दोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से अब तक 15 किसानों की मौत हो चुकी है।
(पत्रकार नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)