पर्यावरण नहीं बचाया तो दुनिया खत्म हो जाएगी

 


 


 


 


 


 



  • विष्व के वैज्ञानिकों की चेतावनी विकास नीति में बदलाव नहीं किया तो दुनिया खत्म हो जाएगी
    फतहसागर के पास विमूति पार्क का निर्माण अवैध?
    उदयपुर (समता संवाद), विश्व के 1500 वैज्ञानिकों ने साफ-साफ शब्दों में विश्व के नेताओं को चेतावनी दी है कि अगर विकास नीति में बदलाव नहीं किया और औद्योगिकरण ऐसे ही होता रहा तो दुनिया बहुत जल्द खत्म हो जाएगी। इस समय जीव जगत को बहुत भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। पृथ्वी का तापमान 1.20ब्ण् बढ़ चुका है और आगे भी तेजी से बढ़ता जाएगा तो पृथ्वी पर जीव समाप्त हो जाएगा। जीव जगत का मतलब है। मानव, पशु और प्रकृति सब खत्म हो जाएगा। अभी भी समुद्र के तटीय क्षेत्र डूबने लगे है।
    ये विचार महावीर समता सन्देश द्वारा आयोजित समता संवाद में ''पर्यावरण बचाओ, शहर बचाओ'' विषय पर प्रकृति मानव केन्द्रित संगठन के नेता एवं एडवोकेट मन्नाराम डांगी ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए व्यक्त किये।
    श्री डांगी ने कहा कि पर्यावरण असन्तुलन की समस्या और चुनौती 16वीं शताब्दी से ही प्रारम्भ हो गई थी। जिसने अब भयावह रूप ले लिया है। विष्व के वैज्ञानिक और संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस समस्या के हल को लेकर अपनी चिन्ता समय-समय पर प्रकट करते रहे है। 1972 में 66 देशों के वैज्ञानिकों ने पर्यावरण बचाने के लिए एक क्लब बनाया और अपना शोध करके एक रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र को प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने ओजोन परत में छेद होने की सूचना दी।
    संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों से 1992 में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ। 2002 में दूसरा पृथ्वी सम्मेलन जोहन्सबर्ग में हुआ। ये सम्मेलन जो हुए लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा दी गई चेतावनी का विश्व बड़े राष्ट्रों पर कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने अपनी विकास नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया। 1997 में यूरोपीयन देशों की पहल एक संघी हुई। लेकिन उसका भी क्रियानवयन नहीं हो पाया। फ्रांस की राजधानी पेरिस में सभी देशों ने अपनी पहल पर पर्यावरण संकट से निपटने के लिए कुछ काम करने के लिये कहा। लेकिन अमेरिका उस संघी से अलग हो गया। विश्व के 15 हजार वैज्ञानिको ने जो स्वतंत्र रूप से अपने शोध करते है। जिन पर संयुक्त राष्ट्र संघ व अन्य किसी देश की सरकारो को कोई प्रभाव नहीं हैे अपने शोध के आधार पर चेतावनी दी कि 10 साल में अपने जीवन शैली और विकास नीति को नहीं बदला तो स्थिति अपने हाथ से निकल जाएगी। इस वैज्ञानिक समुह में 123 वैज्ञानिक हमारे देश भारत के भी है। इस समय विश्व में भारत और चीन सबसे ज्यादा कार्बन का विसर्जन कर रहे है। हमें जल्दी ही कुछ कदम उठाने होंगे अन्यथा प्रलय हो जाएगा। यह प्रलय मानवकृत होगा जिसमें अमीर देश व धनाढ्य लोगों द्वारा फैलाया जा रहा है।
    उन्होंने कहा कि पर्यावरण असन्तुलन के चलते 2.5 करोड़ तथा युद्ध में 2.5 करोड़ लोग मारे जा चुके हैं तेजी से विकास करने की नीति विनाश की ओर ले जा रही है। 7 अरब की जनसंख्या वाले विश्व में सभी के लिये एक सा प्रबन्ध करना पड़ेगा। समाजवाद ही इस समस्या का विकल्प है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में हथियारों पर रोक लगे निशस्त्रिकरण हो। सेना को मानवीय कार्यों मंे लगाया जाय। किसानों को संरक्षण दिया जाय। पेड़ पौधे लगाने का काम बड़े पैमाने पर हो। लोगों में जागरूकता व चेतना फैलाई जाय।
    इसके पहले महावीर समता सन्देश के प्रधान सम्पादक हिम्मत सेठ ने सभी का स्वागत किया तथा विषय प्रवेश करवाते हुए कहा कि पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। हमारे शहर में बढ़ते तापमान चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि शहर के आस-पास के सारे पेड़ काट दिये गये है। फतहसागर जैसे रणिक स्थान पर भी पेड़ काटे जा रहे है तथा कुछ लोगों की सनक पूरी करने के लिये पेड़ काटकर कंक्रीट के जंगल बनाये जा रहे है। शहर के चारो और हरियाली समाप्ति की और है। विकास के नाम पर रेगिस्तान को न्यौता दिया जा रहा है। ऐसे में हमें नागरिकों को जागरूक कर अवैध कामों पर रोक लगाने के प्रयास करने चाहिये।
    इंजी. ज्ञान प्रकाश सोनी ने कहा कि आपसी संवाद के अभाव में जनता में भ्रम फैलाया जा रहा है। सरकारी अधिकारी और नेताओं में फैलते भ्रष्टाचार के चलते बड़ी-बड़ी मंहगी योजना बनवाते है और जनता के धन को फिजूल खर्च करते हैं। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि बड़ी तलाब से उदयपुर पाइप डालने के लिये 8 करोड़ की योजना बनी। जबकि ये काम बहुत कम खर्च में हो सकता है। प्रो. महेश शर्मा ने कहा कि मैंने प्रशासन को पत्र द्वारा सूचित किया कि बड़ी से उदयपुर पाईप लाइन पहले से डाली हुई है और वहां विद्युत माटेरे भी लगी हई है फिर ये आठ करोड़ का अनआवश्यक खर्च क्यों किया जा रहा है?
    ज्ञान प्रकाष सोनी ने विमूति पार्क में मूर्तियां लगाने का भी विरोध किया उन्होंने कहा यह सब काम अवैध है। झीलों के 500 मी. परिधि के अन्दर कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जाय यह कानून बना हुआ है। फिर यह निर्माण कार्य तो झील की पाल के पास ही हो रहा है। उन्होंने सवाल किया क्या नगर परिषद् और नगर विकास प्रन्यास देश के कानून से ऊपर है?
    इंजी. सोनी ने कहा कि सभी विकास कार्यो में जन भागीदारी होनी चाहिये। किसी भी योजना को प्रारम्भ करने के पहले जनता से उसके बारे में सुझाव लेना चाहिये।
    प्रो. महेश शर्मा ने कहा कि जनता सहभागिता के मैं भी पक्षधर हूं। उन्होंने स्मार्ट सिटी के अन्र्तगत चल रहे सीवरेज योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह योजना करोड़ रूपयों की बर्बादी के अतिरिक्त कुछ नहीं है ये पूरी असफल योजना है। गुमानिया वाले नाले के पास खुली नाली बना दी है जिसमें मोती मगरी स्कीम का सीवरेज डाला जा रहा है। 30-30 फीट धरती को खोद कर पाइप डालकर सीवरेज ले जाने की योजना बहुत ही आष्चर्यजनक है। इंजी. ज्ञान प्रकाश सोनी ने भी कहा यह धन की बर्बादी है। उन्होंने कहा जिस शहर में सैफ्टीक टैंक घरों में बने हो वहां सीवरेज योजना की आवश्यकता ही नहीं है।
    प्रो. महेश शर्मा ने डी.पी.आर. बनवाने को बहुत बड़ घोटाला बताया और कहा कि काम की योजना व डी.पी.आर. बनवाने व तकनीकी सलाह के नाम पर करोड़ रूपये खर्च कर देते है। हर योजना की 3-4 बार डी.पी.आर. बनती है। उन्होंने सवाल किया कि हर योजना की डी.पी.आर. ठेके पे बनवाई जाती है ता विभागीय इंजीनियर जिन्हें लाखों रू. वेतन हर माह देते है वो क्या करते है क्या वे अयोग्य है कि किसी योजना की डी.पी.आर. नहीं बना सकते?
    प्रो. हेमेन्द्र चण्डालिया ने कहा कि विकास के माॅडल पर हमें गम्भीरता से वापस विचार करना चाहिये। उन्होंने कहा राष्ट्रवाद का सिद्धान्त मानवता के विरूद्ध है। हमें अपने जीवनषैली में परिवर्तन करना चाहिये तथा आवश्यकताओं को सीमित करना चाहिये। उन्होंने कहा उदयपुर प्रताप गौरव केन्द्र वास्तव में आर.एस.एस. गौरव केन्द्र बन गया है।
    संवाद में हरीश सुहालका, अजय टाया नरेन्द्र जोशी ने भी अपने विचार रखे तथा समता संवाद के अध्यक्ष इंजी पीयूष जोशी ने आभार व्यक्त किया।