आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व हमारा प्रदेश बिजली का स्वर्ग कहलाता था। मध्यप्रदेश लागत मूल्य पर किसानों को बिजली उपलब्ध कराता था तथा 8 राज्यों में हम बिजली बेचकर मध्यप्रदेश का रेवेन्यू बढ़ाते थे। कांग्रेस का शासन था, पूरे प्रदेश में एल्युमिनियम की जगह ताबे के तारों का उपयोग होता था, जो की मजबूत थे जिन पर कार्बन भी नही जमता था, आखिर प्रदेश से ताँबे के तार तथा हमारे घरों में लगे हुए बिजली के मीटर जिसे उपभोक्ताओं ने अपने पैसे के खरीदे थे वे कहाँ गए ? आज मध्यप्रदेश का उपभोक्ता मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से जानना चाहता है, क्योकि तब प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे और उनके बड़े भाई कमलनाथ जी की जुगल जोड़ी मिलकर काम करती थी। उसी समय से मध्यप्रदेश के विद्युत मण्डल का भ्रष्टाचार शुरू हुआ जहाँ तक मुझे याद है विद्युत मंत्री के पद पर छिन्दवाड़ा से ही माननीय स्वर्गीय विजय कुमार पाटनी (हिटलर भैया) थे जिनका की मैं बहुत सम्मान करती हूँ। मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल को लेकर मेरी उनसे हमेशा चर्चा होती थी और वे मुझे बताते थे, उस समय कोयले से बनने वाली बिजली की लागत 25 पैसे युनिट और पानी से बनने वाली बिजली की लागत 5 पैसे युनिट होती थी। जब मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल अच्छे तरीके से काम कर रहा था तब इसको अपने निहित स्वार्थ के कारण कांग्रेस की सरकार द्वारा पूर्णतः बरबाद कर दिया और आज प्रदेश की जनता बिजली कटौती से परेशान है जिसको रोकने में प्रदेश के मध्यमंत्री कमलनाथ जी पूर्णतः अक्षम दिखाई दे रहे है। बिजली कटौती नही किये जाने को लेकर मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों को अधिकारी हवा में उड़ा रहे है
शासकीय कार्यालय जिनमें उजालों के लिये पर्याप्त रोशनदान तथा खिड़किया बनाई गई है, शासकीय कार्यालय देश के जनता के लिए काम करने के लिए जनता के पैसे से ही बनाये जाते है जो कि पारदशी होने चाहिए कार्यालय के कार्य जनता को बाहर से ही दिखाई देने चाहिए किन्तु पर्दा तथा ए.सी. लगी होने के कारण वे पूर्णतः ढके हुए होते है परिणाम स्वरूप बिजली कटौती का असर शासकीय कार्यालयों पर भी दिखाई देने लगा है। छिन्दवाड़ा जिले के चैरई तहसील में पदस्त एस.डी.एम. मेघा शर्मा ने बताया कि उनके कार्यालय में भी सोमवार को भी दो घण्टे बिजली बन्द रही, उन्होने यह भी बताया कि नगर में अक्सर बिजली कटौती होती है जिसकी जानकारी उन्हें है। वर्तमान में मानसून के लेट लतीफ होने के कारण बिजली कटौती से प्रदेश की जनता अत्यधिक त्रस्त है, बारिस एवं तेज आंधी चलना शुरू नही हुई है वर्ना घटिया स्तर के बिजली के पोल तथा वायर का उपयोग जो की भारतीय जनता पार्टी श्री शिवराज सिंह चैहान की सरकारों द्वारा किया गया है। बिजली के पोल तेज आंधी वा बारिस में गिरेंगे घटिया समाग्री का उपयोग किये जाने के कारण गांव में कई-कई दिनों तक बिजली गुल रहेगी, गांव का किसान बिजली के अभाव में अंधेरे में भोजन करने तथा बिजली कटौती के कारण आटे की चक्की में अनाज ना पिसने के कारण वा पेय जल से भी परेशान रहेगा।
भारत की जनता डायरेक्ट व इनडायरेक्ट टेक्स देकर इस देश को चलाने में कोई कोर कसर नही करती, किन्तु चुनाव के समय हम देखते है कि बिहार जैसे प्रदेश में बच्चे भूख और ग्लूकोश की कमी के कारण मौत के मुँह में समा रहे है किन्तु उसी देश में चुनाव के समय पार्टीयों के पास पानी की तरह बहाने के लिए पैसा होता है, जो पार्टी या उम्मीद्वार पैसा खर्च करते है वही उम्मीद्वार चुनकर आते है। लोकसभा में चुनकर आने वाले उम्मीद्वारों का आंकड़ा इसका जीता जागता उदाहरण है। सत्ता में बैठने के बाद हमारे चुने हुए प्रतिनिधि जन, जंगल तथा जमीन के मालिक बन बैठते है परिणाम स्वरूप प्रकृति का संतुलन बिगड़ चुका है पर्यावरण प्रदूषित हो चुका है। बैग्लोर, चैन्नई, हैदराबाद, तथा दिल्ली जैसे महानगरों में 2030 तक धरती का पानी खत्म हो चुका होगा क्या इस पर हमारे कर्णधार अपने राजनैतिक स्वार्थ से अलग हटकर कुछ सोचेंगे ?
पूरा मध्यप्रदेश तपती हुई गर्मी में बिजली कटौती से परेशान है, आखिर इसका दौषी कौन ?