बजट में फिर गांव के लिए केवल वादों का पिटारा

  • Budget 2019: 'जब वर्षों से नहरों में पानी नहीं आता तो नल में जल कैसे आएगा?'


Manish Mishra 


पांच सालों में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना का बजट 40 प्रतिशत हुआ कम


वर्ष 2017 तक तय लक्ष्य का मात्र 50 प्रतिशत ही पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति कर पाई सरकार


गाँव की जवानी, पानी और किसानी खत्म हो रही-राजेन्द्र सिंह, जल पुरुष


लखनऊ। वित्त मंत्री ने बजट में वर्ष 2024 तक हर घर में नल से पेयजल सप्लाई की बात कही है, ताकि हर नागरिक को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सके। गाँवों में जिस राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के अंतर्गत शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाना होता है उस पर कैग की रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े किए हैं। तय लक्ष्य के मुताबिक वर्ष 2017 तक इस योजना के अंतर्गत 35 प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप लाइन से पेयजल की सप्लाई होनी थी। लेकिन कैप रिपोर्ट के अनुसार मात्र 17 प्रतिशत ग्रामीण घरों में ही पाइप लाइन से पेयजल की सप्लाई की जा सकी। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के लिए जारी होने वाले बजट में वर्ष 2014-15 में 9007.64 करोड़ रुपए जारी हुए थे, वो वर्ष 2018-19 में यह घटकर 5466.24 करोड़ रुपए हो गया। बजट में यह साफ नहीं किया गया है कि सरकार वर्ष 2024 तक हर घर को नल से जल उपलब्ध कराने के लिए कितना बजट बढ़ाएगी और इसका क्रियान्वयन कैसे होगा। 


हर घर को नल के जल की योजना के बारे में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह कहते हैं, "जब वर्षों से नहरें में पानी नहीं आया तो नल में जल कैसे आएगा?" भारत में जल संकट और इसके उपायों के बारे में बताते हुए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह कहते हैं, "जैसे गंगा का उद्धार हुआ हुआ, वैसे ही इस योजना का होगा," वह आगे कहते हैं, "इसके अच्छा होगा कि जल साक्षरता के साथ जल सुरक्षा अभियान चलाकर, जल अधिकार अधिनियम बनाया जाए। उसके बिना यह संभव नहीं है।" वर्ष 2018 में आई नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत इतिहास में जल संकट से सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। जबकि हर साल दो लाख लोग साफ पीने का पानी न मिलने से अपनी जान गंवा देते हैं। भारत के 60 करोड़ लोग इस समय इतिहास के सबसे बुरे जल संकट से जूझ रहे हैं। सबसे अधिक बरिश वाले क्षेत्र त्रिपुरा के अगरतला का उदाहरण देते हुए राजेन्द्र सिंह ने कहा, "यहां 72 प्रतिशत भूमिगत जल खाली हो गया है। ऐसे में नल में जल कैसे आएगा," आगे कहते हैं, "गांव की जवानी, पानी और किसानी खत्म हो रही।" 


पानी को लेकर सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन और उनकी उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए राजेन्द्र सिंह ने कहा, "सरकार जो योजनाएं बना रही है वो कांट्रैक्टर्स के लिए हैं, लोगों को जोड़ेंगे तो हल जल्द निकलेगा।" "जहां तक लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंचने का सवाल है, तो भारत सरकार की बहुत ही महात्वकांक्षी योजना है 'नेशनल रुरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम (राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना)', जिसका लक्ष्य था कि 2020 तक देश के 70 प्रतिशत ग्रामीण घरों तक पाइप वाटर सप्लाई पहुंचाना। लेकिन 2017 तक मात्र 17 प्रतिशत घरों में ही पाइप्ड ड्रिंकिग वाटर सप्लाई (नल से पेयजल की सप्लाई) हो पाई," वाटर ऐड इंडिया में प्रोग्राम एंड पॉलिसी के निदेशक अविनाश कुमार बताते हैं। एक तो पानी दूर से लाना, दूसरे उसकी गुणवत्ता सही न होने से लाखों परेशान होते हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 70 प्रतिशत पानी दूषित है और पेयजल स्वच्छता गुणांक की 122 देशों की सूची में भारत का स्थान 120वां है।