भोपाल संभाग के 5 लाख किसानों को कर्जमाफी का इंतजार, बैंक थमा रहे नोटिस
मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा और प्रयासों पर अधिकारी पानी फेर रहे हैं। एक ओर जहां मुख्यमंत्री की कोशिश है कि किसानों का कर्ज जल्द से जल्द माफ हो जाए और प्रदेश का हर किसान कर्जमुक्त हो जाए और खुशहाल जिंदगी जिएं वहीं सरकारी कार्यप्रणाली से किसानों को कर्जमुक्ति से राहत नहीं मिल पा रही है।
किसानों को कर्जमुक्त कराने की योजना के लिए सरकार की ओर से जो फंड दिया गया था उसे अधिकारी और बैंक अपर्याप्त बता रहे हैं। कर्जमाफी का इंतजार कर रहे भोपाल जिले के 44 हजार और संभाग के लगभग पांच लाख किसानों को अब बैंक नोटिस भी थमा रहे हैं। जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह भी कलेक्टर सहित सभी अफसरों को किसानों का ऋण माफ करने के निर्देश दे चुके हैं लेकिन अफसरों का कहना है कि किसानों का कर्ज तभी माफ होगा, जब सरकार बकाया फंड दे देगी। उनका कहना है कि आगामी फंड आने तक बैंकों को भुगतान संभव नहीं है। आचार संहिता के दौरान किसानों का ऋण माफ करने का फैसला करने वाली सरकार के पास अब फंड नहीं है। यही वजह है कि भोपाल सहित संभाग के जिलों के किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। किसान कर्ज माफ कराने के लिए कलेक्टोरेट के चक्कर काट रहे हैं। साथ ही हर सप्ताह होने वाली जनसुनवाई में माफी की गुहार भी लगा रहे हैं। बीते दिनों किसानों ने कलेक्टोरेट में जनसुनवाई के दौरान ऋण माफी योजना के तहत लाभ न मिलने की फरियाद अफसरों को सुनाई। इस समस्या को लेकर एडीएम, कृषि और बैंकों के अफसरों के बीच चर्चा हुई। अफसरों का कहना है कि उन्हें इस योजना के संबंध में किसानों के कर्ज की सभी जानकारी है, लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं है। बीते दिनों हुई जनसुनवाई के दौरान एक किसान को बैंक ने कर्ज चुकाने के लिए नोटिस भेजा था। किसान नोटिस लेकर जनसुनवाई में पहुंचा तो अफसरों ने हिलाहवाली करते हुए शिकायत तो सुनी लेकिन समाधान के लिए बैंक भेज दिया। किसान अब बैंक के चक्कर लगा रहा है। यह स्थिति एक किसान की नहीं है बल्कि जिले के हजारों किसानों की है। खासबात है कि बैंक किसानों को नोटिस दे रहे हैं। इस पर संबंधित अधिकारी जैसे एसडीएम, कृषि विभाग और जिला पंचायत के अफसर मौन हैं। गौरतलब है कि दो महीने पूर्व किसानों का ऋण माफ कराने के लिए प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह और मंत्री आरिफ अकील सहित जिले के सभी विधायकों ने समीक्षा बैठक की थी। इस बैठक के मुख्य एजेंडे में किसान ऋण माफी योजना पर चर्चा की गई थी। माननीयों ने बैठक के बाद कलेक्टर सहित अन्य नोडल विभागों के अफसरों को ऋण माफी योजना के अंतर्गत आने वाले किसानों का कर्ज माफ करने के लिए कहा था। अब अफसरों का कहना है कि दो महीने पूर्व हुई बैठक के बाद आज तक उन्हें इस योजना के तहत प्राप्त होने वाली राशि नहीं मिली है। फिर
किसानों को कर्जमुक्त कराने की योजना के लिए सरकार की ओर से जो फंड दिया गया था उसे अधिकारी और बैंक अपर्याप्त बता रहे हैं। कर्जमाफी का इंतजार कर रहे भोपाल जिले के 44 हजार और संभाग के लगभग पांच लाख किसानों को अब बैंक नोटिस भी थमा रहे हैं। जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह भी कलेक्टर सहित सभी अफसरों को किसानों का ऋण माफ करने के निर्देश दे चुके हैं लेकिन अफसरों का कहना है कि किसानों का कर्ज तभी माफ होगा, जब सरकार बकाया फंड दे देगी। उनका कहना है कि आगामी फंड आने तक बैंकों को भुगतान संभव नहीं है। आचार संहिता के दौरान किसानों का ऋण माफ करने का फैसला करने वाली सरकार के पास अब फंड नहीं है। यही वजह है कि भोपाल सहित संभाग के जिलों के किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। किसान कर्ज माफ कराने के लिए कलेक्टोरेट के चक्कर काट रहे हैं। साथ ही हर सप्ताह होने वाली जनसुनवाई में माफी की गुहार भी लगा रहे हैं। बीते दिनों किसानों ने कलेक्टोरेट में जनसुनवाई के दौरान ऋण माफी योजना के तहत लाभ न मिलने की फरियाद अफसरों को सुनाई। इस समस्या को लेकर एडीएम, कृषि और बैंकों के अफसरों के बीच चर्चा हुई। अफसरों का कहना है कि उन्हें इस योजना के संबंध में किसानों के कर्ज की सभी जानकारी है, लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं है। बीते दिनों हुई जनसुनवाई के दौरान एक किसान को बैंक ने कर्ज चुकाने के लिए नोटिस भेजा था। किसान नोटिस लेकर जनसुनवाई में पहुंचा तो अफसरों ने हिलाहवाली करते हुए शिकायत तो सुनी लेकिन समाधान के लिए बैंक भेज दिया। किसान अब बैंक के चक्कर लगा रहा है। यह स्थिति एक किसान की नहीं है बल्कि जिले के हजारों किसानों की है। खासबात है कि बैंक किसानों को नोटिस दे रहे हैं। इस पर संबंधित अधिकारी जैसे एसडीएम, कृषि विभाग और जिला पंचायत के अफसर मौन हैं। गौरतलब है कि दो महीने पूर्व किसानों का ऋण माफ कराने के लिए प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह और मंत्री आरिफ अकील सहित जिले के सभी विधायकों ने समीक्षा बैठक की थी। इस बैठक के मुख्य एजेंडे में किसान ऋण माफी योजना पर चर्चा की गई थी। माननीयों ने बैठक के बाद कलेक्टर सहित अन्य नोडल विभागों के अफसरों को ऋण माफी योजना के अंतर्गत आने वाले किसानों का कर्ज माफ करने के लिए कहा था। अब अफसरों का कहना है कि दो महीने पूर्व हुई बैठक के बाद आज तक उन्हें इस योजना के तहत प्राप्त होने वाली राशि नहीं मिली है। फिर