मध्य प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ के हालात फिर जोरदार बारिश का दौर

मप्र / नदी-नाले उफान पर, कई जिलों में निचली बस्तियां खाली कराई गईं; 32 जिलों में भारी की बारिश की चेतावनी













  • भोपाल में भारी बारिश के चलते भदभदा डैम के तीन और कलियासोत के पांच गेट खोले गए

  • नरसिंहपुर में बरगी डैम के गेट खोले गए, निचली बस्तियों को कराया जा रहा खाली

  • 15 सितंबर तक मौसम का मिजाज ऐसे ही रहने के आसार, पूरे प्रदेश में जारी रहेगा बारिश का दौर


भोपाल.प्रदेश में शनिवार शाम से शुरू हुआ रुक-रुककर बारिश का सिलसिला रविवार को भी जारी है। प्रदेश की अधिकांश नदियां उफान पर हैं। नरसिंहपुर में बरगी के गेट खुलने से नर्मदा और सहायक नदियों का जल स्तर भी बढ़ रहा है। यहां निचली बस्तियों को खाली कराया जा रहा है। रायसेन जिले में बारना डैम के गेट खोल दिए गए हैं। राजधानी भोपालके दामखेड़ा गांव में कलियासोत नदी का पानी भरने से गांव खाली कराया गया है। मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटों में प्रदेश के 32 जिलो में बहुत ज्यादा बारिश का अलर्ट जारी किया है।


मौसम विज्ञान भोपाल केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया कि रविवार कोभोपाल, इंदौर और शहडोल संभाग में बारिशहो रही है। उत्तरी ओडिशा पर बना हुआ कम दबाव का सिस्टम आगे बढते हुए आज उत्तरी छत्तीसगढ पर छा गया है, जो रात्रि तक मध्यप्रदेश पर छा सकता है।


भोपाल में भारी बारिश : राजधानी में सुबह के बाद शाम को भी तेजबारिश हुई। भारी बारिश से पंचशील नगर और नया बसेरा बस्ती में पानी भर गया है। भारी बारिश के चलते भदभदा डैम के तीन और कलियासोत के पांच गेट खोले गए हैं। कलियासोत के गेट खुलने के चलते कोलार के दामखेड़ा बी-सेक्टर में झुग्गियों में पानी भर गया। निगम अमला मौके पर पहुंचा और लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। भदभदा डैम का पैट भरने वाली कोलांश नदी में 5 फीट पानी चल रहा है, नदी का लेवल और बढ़ने की आशंका है।प्रदेश में नर्मदा, ताप्ती, बेतवा समेत कई छोटी-बडी नदियां उफान पर है, जिससे कई सड़क मार्ग बाधित हो गए।


कहां कितनी बारिश:पिछले चौबीस घंटों के दौरान मंडला में भारी बारिश हुईं। मंडला जिले की बिछिया तहसील में 180 मिमी एवं मंडला शहर में 134 मिमी पानी बरसा। साथ ही, मलाजखंड में 120 मिमी , करेली में 110 मिमी, सिवनी में 93.6 मिमी , मुरैना में 83 मिमी, नरसिंहपुर , गोटेगांव , केवलारी, लखनादोन में 70 मिमी घनसौर ,तेदुखेडा, अलीपुर, कन्नोद एवं अंबाह में 60 मिमी वर्षा हुई है।इस दौरान भोपाल शहर में 44.1 और उपनगर बैरागढ में 22.4 मिमी वर्षा दर्ज हुई है।


यहां हो सकती है भारी से अति भारी बारिश:विदिशा, रायसेन, सीहोर, भोपाल, राजगढ़, होशंगाबाद, बैतूल, हरदा, बुरहानपुर, खंडवा, खरगौन, बड़वानी, देवास, शाजापुर, अशोकनगर, श्योपुर, रीवा, सतना, अनूपपुर, डिंडोरी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुस, टीकमगढ़ एवं गुना।



बरगी डेम के गेट खोले गए : नरसिंहपुर जिले में जोरदार बारिश का दौर जारी है। जबलपुर में बरगी के गेट खुलने से नर्मदा और सहायक नदियों का जल स्तर भी बढ़ रहा है। प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सूचना जारी कर बताया है कि रविवार सुबह से बरगी डेम से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। पानी छोड़े जाने की गति बढ़त पर है। वर्तमान में 17 गेट, 2.5 मीटर खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे जिले के प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 15-20 फीट तक जल स्तर आज देर शाम से सतत बढ़ने की संभावना है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वह प्रभावित नदी, नालों के तटवर्ती इलाक़ों से दूर रहें।



ग्वालियर: सितंबर के पहले सप्ताह में टूटा सात साल का रिकार्ड


शनिवार को ग्वालियर शहर में सितंबर के पहले सप्ताह में बारिश का सात साल का रिकार्ड तोड़ दिया। मौसम विभाग ने यहां शनिवार को 55.6 मिमी बारिश दर्ज की। तेज बारिश के चलते शहर में कई जगह जलभराव की स्थिति बनी।मानसून के सीजन में अब तक 655.6 मिमी बारिश हाे चुकी है।



मध्य प्रदेश एवं भोपाल के मौसम को प्रभावित करने वाले कारक



  • पहला- कम दबाव का क्षेत्र उत्तरी छत्तीसगढ़ एवं उसके आसपास के लगे इलाके में बना है। साथ ही, हवा के ऊपरी भाग में 7 पॉइंट 6 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना है, जो ऊंचाई के साथ दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर झुका है।

  • दूसरा- मानसून द्रोणिका मीन सी लेवल पर बीकानेर कोटा जबलपुर कम दबाव के क्षेत्र से होकर जमशेदपुर दीघा से बंगाल की खाड़ी तक गया है। जो 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है तथा ऊंचाई के साथ दक्षिण दिशा की ओर झुका हुआ है।

  • तीसरा- पूर्वी पश्चिमी सीआर जोन (shear zone) 21 डिग्री उत्तरी अक्षांश पर बना है। जो 3.6 से 7.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक है।

  • चौथा- हवा के ऊपरी भाग में सौराष्ट्र और उसके आसपास के इलाके में 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक चक्रवाती हवा का घेरा बना है