सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के बाद रोजाना... 85 क्विंटल कूड़ा कम निकलेगा
- केंद्र सरकार के सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन के फैसले के मद्देनजर मप्र ने भी शुरू की तैयारी
हरेकृष्ण दुबोलिया| भोपाल .सिंगल यूज प्लास्टिक यानी एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दी जानी वाली प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने पर पूरे प्रदेश से रोज 250 क्विंटल प्लास्टिक कचरा कम होने की उम्मीद है। भोपाल में ही रोजाना 85 क्विंटल सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा कम हो जाएगा। प्लास्टिक का यही वह सबसे खतरनाक प्रकार है, जो पर्यावरण के लिए खतरा है। इंसानी स्वास्थ्य के लिए भी यह खतरनाक है।
मप्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल(एमपीपीसीबी) के मुताबिक मप्र के शहरों से अभी रोजाना 3 हजार क्विंटल प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। इसमें बड़ा हिस्सा एक बार इस्तेमाल कर फेंक दी जाने वाली पन्नियों, बोतलों व खाने-पीने के सामान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डिस्पोजल का है। यह खतरनाक इसलिए है क्योंकि न तो यह नष्ट होता है न ही रिसाइकिल हो सकता है। यह माइक्रो प्लास्टिक में तब्दील होकर हमारी फूड चेन में शामिल होकर शरीर के भीतर पहुंच रहा है।प्लास्टिक वेस्ट के जानकार इम्तियाज अली के मुताबिक पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगने के बावजूद भोपाल में सिर्फ 20 फीसदी पॉलिथीन की खपत कम हुई है। प्रभावी रोकथाम न होने से धड़ल्ले से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है।
प्रदेश और शहर में....सिंगल यूज प्लास्टिक की मौजूदा स्थिति, उनके विकल्प और सेहत पर असर
प्लास्टिक बैग.. सिंगल यूज प्लास्टिक में सबसे बड़ा योगदान इसी का है। मप्र में इसका निर्माण 2 साल से प्रतिबंधित है, लेकिन अन्य राज्यों से सप्लाई।
विकल्प : जूट, कपड़े और मोटे कागज के कैरीबैग।
छोटी प्लास्टिक बोतल - पैकेज्ड पानी, कुकिंग ऑइल्स की पैकिंग में इस्तेमाल होता है। इन्हें बाद में फेंक दिया जाता है।
विकल्प: तांबे-स्ट्रील जैसी धातुओं, कांच की बोतलें
प्लास्टिक प्लेट-दोने शादी, पार्टी, स्ट्रीट फूड कॉर्नर जैसी जगहों पर इनका सर्वाधिक इस्तेमाल इन दिनों हो रहा है। गंदगी का बड़ा कारण ये भी है।
विकल्प - खांखर या ढाक, केला और कमल के पत्तों से बने दोना-पत्तल। शहरों में खुल रहे बर्तन बैंक।
स्ट्रा पाइप... जूस पीने के लिए स्ट्रा पाइप का चलन तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक से बनी यह पाइप एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती है।
विकल्प - बाजार में सस्ती कीमत में कागज की स्ट्रा पाइप हैं।
प्लास्टिक कप-ग्लास - चाय, पानी, आदि के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। आयोजनों में इसका खूब उपयोग होता है।
विकल्प - कुल्हड़। कांच व मेटल के गिलास की बोतल।
शैचेट्स (पाउच)..- शैंपू, हेयर ऑइल और अचार बनाने वाली कंपनियां शैसे (प्लास्टिक पाउच) में पैकिंग कर बेचती हैं। इन्हें इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है।
विकल्प- इसके विकल्प अब तक तय नहीं हो सका है। इसलिए इसके प्रतिबंध पर भी अभी सहमति नहीं बन पाई है