मिलावट खोर व्यापारी कर रहे मुनाफाखोरी : खराब गुड में घातक केमिकलो की मिलावट कर बेच रहे हैं बाजार में

खराब हो चुके गुड़ फिर से बाजार में बेचने मिला रहे सेफोलाइट व हाइड्रो रसायन




  • केमिकल मिलाने के लिए पुराने गुड़ को गर्म कर पहले गलाया जाता है, इसके बाद इसे ठंडा किया जाता है।

  • सेफोलाइट केमिकल से किडनी फैल होने का रहता है डर, हाइड्रो से हो सकती है अल्सर जैसी बीमारी

  • ठंड के सीजन में बढ़ जाती है गुड़ की खपत, हरीपुर, चांदपुर और सिंध नदी के पास हैं ठिकाने


डबरा। शहर में इस समय कई जगह पुराने गुड़ से नया गुड़ बनाए जाने का काम किया जा रहा है। गुड़ कारोबारी मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, वह पुराने गुड़ को नए करने के चक्कर में चमक के लिए सेफोलाइट और हाइड्रो जैसे रसायनिक चीजें मिला रहे हैं, जो कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके बाद भी खाद्य विभाग एवं प्रशासन के अधिकारी गुड़ का अवैद्य कारोबार करने वाले इन कारोबारियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।



 


दरअसल गन्ने की फसल आने पर किसान क्रेशर लगाकर उसके रस से गुड़ बनाते हैं। लेकिन अगस्त सितंबर माह में गन्ना न आने पर गुड़ कारोबारी पुराने और गंदे गुड़ को रिसाइकिल कर उसमें चमक के लिए केमिकल मिलाकर कर उसे नया कर फिर से बाजार में बेच रहे हैं।


इस तरह से बनाया जा रहा गुड़ सेहत के लिए हानिकारक है। शहर में हरीपुर, चांदपुर, ग्वालियर-झांसी हाईवे और सिंध नदी के पास से लेकर गोराघाट के क्षेत्र के आसपास इस अवैद्य तरीके से गुड़ बनाया जा रहा है। इस गुड़ को शहर में कई दुकानों के साथ ही शहर से बाहर अन्य क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। लेकिन इस मिलावटी गुड़ के कारोबार के खिलाफ फूड विभाग एवं प्रशासन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रहा है।


गुड़ कारोबारी इस समय गन्ने की आवक न होने और गुड़ की डिमांड के चलते शुगर मिलों के सीरे और गंदे पुराने गुड़ से नए गुड़ को बना रहे हैं। इस गंदे गुड़ को नया बनाते समय इसे साफ करने और चमकदार बनाने के लिए सेफोलाइट जैसे हानिकारक केमिकल को मिला रहे हैं। डॉक्टर सुशील सचदेवा के अनुसार इस तरह के केमिकल के उपयोग से किड़नी से संबंधित बीमारियां या किड़नी फैल होने का खतरा रहता है।


इसके साथ ही गंध को बढ़ाने के लिए हाइड्रो जैसे केमिकल भी मिलाए जा रहें जिससे अल्सर और अन्य बीमारियां हो सकती हैं। खाद्य पदार्थों में इस तरह के केमिकल मिलाना गैर कानूनी है। लेकिन इसके बाद भी ऐसा कारोबार किया जा रहा है और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। प्रशासन कार्रवाई करे तो इस तरह के कारोबार पर अंकुश लग सकेगा और लोगों को मिलावटी व हानिकारण खाद्य पदार्थ से छुटकारा मिल सकेगा।


खाद्य एवं औषधि विभाग नहीं कर रहा सैंपलिंग
शहर के आसपास और गोराघाट क्षेत्र तक धड़ल्ले से इस तरह का अवैद्य गुड़ बनाया जा रहा है। इसके साथ ही कई दुकानों पर भी इस तरह का गुड़ मिल जाएगा। कुछ माह से मिलावट खोरों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन इस तरह के गुड़ के अवैद्य कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए अभी प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है और न फूड विभाग के अधिकारियों से सैंपलिंग कराई जा रही है।


शहर के साथ ही अन्य राज्यों में भेजा जा रहा गुड़
इस तरह का अवैद्य गुड़ शहर के साथ ही मप्र के अन्य शहरों के साथ ही राजस्थान और उत्तरप्रदेश तक में भेजा जा रहा है। शहर के साथ ही इन राज्यों में प्रतिदिन लाखों रुपए का गुड़ बनाकर बाहर भेजा जा रहा है। ठंड के सीजन में गुड् की आवक बढ़ जाती है और इसी का फायदा उठाकर पुराने गुड़ को नया बनाने के लिए हानिकारक पदार्थ मिलाए जा रहे हैं, ताकि मुनाफा कमाया जा सके।