मध्यप्रदेश के धनोरा गांव में पिछले 97 साल में नहीं बड़ी बिल्कुल आबादी

  • मध्‍यप्रदेश के इस गांव की जनसंख्‍या में पिछले 97 वर्षों से नहीं हुआ इजाफा,


मध्‍यप्रदेश के बैतूल जिले के धनोरा गांव ने जनसंख्‍या नियंत्रण का अद्भुत संदेश दिया है।

बैतूल। एक ओर जहां भारत की जनसंख्या में लगातार इजाफा हो रहा है वहीं देश के हृदयस्‍थल मध्‍यप्रदेश के बैतूल जिले में एक गांव ऐसा भी हैं जहां पिछले 97 सालों से जनसंख्या नहीं बढ़ी अर्थात यहां की जनसंख्‍या समान है। यह गांव है बैतूल जिले  का धनोरा गांव ( में पिछले 97 सालों से जनसंख्या 1700 ही है। वर्ष 1922 से धनोरा गांव की जनसंख्‍या एकजैसी ही है।

 

धनोरा गांव में पिछले 97 वर्षों के जनसंख्या एक जैसा रहने से जानकारी भी हैरत में हैं। जानकारी के अनुसार इस गांव में न तो जनसंख्या में बढ़ोतरी होती है और न ही जनंसख्‍या में कमी आती है। जनसंख्‍या नियंत्रण की दिलचस्‍प वजह भी बताई जाती है।

 

जानकार बताते हैं कि करीब 97 वर्ष धनोरा गांव की जनसंख्या 1700 थी और यह आज भी उतनी है। दरअसल इसके पीछे राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की अर्द्धांगिनी कस्तूरबा गांधी की प्रेरणा बताई जाती है। 1922 में गांव में हुई एक बैठक ने गांव का नक्‍शा ही बदल दिया।

कहा जाता है कि कस्‍तूरबा गांधी द्वारा कहे गए शब्दों का अनुसरण आज भी धनोरा गांव के लोग प्रभावी तरीके से कर रहे हैं। इसका परिणाम ही है कि जनसंख्‍या में बदलाव नहीं आया।

 

बताया जाता है कि कस्‍तूरबा गांधी के परिवार नियोजन को लेकर दिए गए संदेश से ही धनोरा गांव के रहवासियों में जागरुकता आई। परिवार में एक अथवा दो बच्‍चों की पैदाइश के बाद ही लोगों ने परिवार कल्‍याण कार्यक्रम अपना लिया।

इस निर्णय का यह भी लाभ हुआ कि गांव में बेटियों की मृत्‍यु दर में भी गिरावट आ गई। लोग जहां बेटे की चाह मेें बेटी की भ्रूण हत्‍या कर देते थे। इस पर भी रोक लग गई।

ग्रामीणों का कहना है कि अब धनोरा गांव के लोग एक या दो बेटियों के जन्म के बाद ही परिवार नियोजन को अपनाना उचित समझते हैं।जानकारी के अनुसार गांव के किसी भी परिवार में दो से अधिक बच्चे नहीं हैं। हालत यह है कि इस अादर्श निर्णय के बाद धनोरा गांव परिवार नियोजन के मामले में एक मॉडल बन चुका है, जबकि इसके आस-पास के गांवों की जनसंख्‍या में तेजी से इजाफा हुआ है।