हनीटेप श्वेता जैन पर नगर निगम ने खूब लुटाई जनता की कमाई
भोपाल। हनी ट्रैप मामले में गिरफ्तार श्वेता जैन पर भोपाल नगर निगम का अमला भी खूब मेहरबान रहा। जांच में पता चला है कि श्वेता के एनजीओ को निगम के अधिकारियों ने करीब 8 करोड़ रुपए का काम दिया, वह भी गिरफ्तारी से 7 दिन पहले। एनजीओ को करोड़ों रुपए देने से पहले अधिकारियों ने परिषद से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा। यह काम मध्यप्रदेश के एक नेता और एक आला अफसर के कहने पर दिया गया था। आठ करोड़ का काम एक एनजीओ को देने का नगर निगम में किसी ने विरोध नहीं किया। भोपाल नगर निगम ने जिस अंदाज में काम दिया है, उससे साफ जाहिर हो रहा है कि मकसद श्वेता स्वप्निल जैन को उपकृत करने का था।
ईओडब्ल्यू को सौंपी जा सकती है जांच
यह सनसनीखेज खुलासा होने के बाद मामले की जांच एसआईटी की बजाय, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो 'ईओडब्ल्यूÓ कर सकता है। ऐसा इसलिए कि मामला सीधे तौर पर आर्थिक अनियमितता से जुड़ा है। हनी ट्रैप मामले में यह पहला मौका है, जब किसी सरकारी विभाग का नाम सीधे तौर पर आया है। इससे पहले श्वेता जैन और उसके गिरोह में काम करने वाली महिलाओं ने प्रदेश के ताकतवर राजनेताओं और अफसरों को निजी तौर पर ब्लैकमेल कर रकम हासिल की थी। सरकारी विभाग की मिलीभगत पहली बार सामने आई है।
नियम-कायदों की अफसरों ने नहीं की परवाह
श्वेता जैन सानिध्य के नाम से एनजीओ संचालित करती है। श्वेता की साथी आरती दयाल और मोनिका यादव को इंदौर पुलिस ने 18 सितंबर को गिरफ्तार किया था। उनकी निशानदेही पर श्वेता स्वप्निल जैन जैन समेत तीन महिलाओं को अगले दिन यानी 19 सितंबर को भोपाल से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से ठीक सात दिन पहले यानी 12 सितंबर को नगर निगम ने आदेश जारी कर यह काम दिया था। काम सीधे तौर पर दिया गया था। इसके लिए नगर निगम परिषद की मंजूरी नहीं ली गई थी। कार्य का आवंटन जारी करने में नियम और कायदे भी ताक पर रखकर दे दिए थे।