शिवराज सरकार ने फर्जी आंकड़ों से हासिल किए कृषि कर्मण अवार्ड

आंकड़ों की बाजीगरी से शिव ने जुगाड़े कृषि अवार्ड, होगी जांच

भोपाल ब्यूरो
 प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान कृषि कर्मण अवार्ड पाने के लिए मायनस में चल रही कृषि दर वृद्वि को आंकड़ो में बाजीगरी कर उसे 20 से 24 फीसदी बताती रही और कृषि कर्मण अवार्ड लेती रही। अब इस पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। यह आरोप कृषि मंत्री सचिन यादव ने लगतो हुए कहा कि कई वर्षों तक लगातार मप्र की एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट 20 से 24 प्रतिशत बताकर शिवराज सरकार कृषि कर्मण अवार्ड लेती रही, लेकिन हकीकत यह है की वर्ष 2013-14 में एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट मायनस 1.9 प्रतिशत, 2014-15 में 1.3 प्रतिशत, 2015-16 में मायनस 4.1 प्रतिशत और 2017-18 में 0.1 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि अब इस मामले की जांच कराई जा रही है, जिससे की फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के पर कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार की वजह से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है। हमारी सरकार ने प्राकृतिक आपदा के लिए खरीफ वर्ष 2019 के लिए फसल बीमा का राज्यांश अग्रिम राशि 509.60 करोड़ का भुगतान बीमा कंपनियों को कर दिया है, लेकिन केन्द्र सरकार का कहना है, चूंकि शिवराज सरकार ने बीमा कंपनियों को रबी सीजन 2017-18 में 165 करोड़, खरीफ 2018 में 1772 करोड़ रुपए और रबी सीजन 2018-19 में राशि 424 करोड़ रुपए अर्थात कुल 2301 करोड़ रुपए का राज्यांश राशि का भुगतान नहीं किया है। इसलिए इस वर्ष की भीषण त्रासदी के बावजूद हमें फसल बीमा का खरीफ- 2019 का केंद्र का हिस्सा मोदी सरकार देने को तैयार नही है। उन्होंने कहा कि 'जय किसान फसल ऋण माफी योजनाÓ के पहले चरण में 20 लाख किसानों का 7 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज माफ किया जा चुका है। दूसरे चरण में 12 लाख किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा।
बोनस दिया तो केंद्र नहीं करेगा उपार्जन
कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि यदि सरकार किसानों को प्रोत्साहन राशि देती है, तो सरकार फसल का उपार्जन नहीं करेगी।
मंत्री ने यह बताई उपलब्धियां
– कसानों को सिंचाई के लिए बिजली बिल हाफ कर दिया गया है।
– कृषि यंत्रों पर सब्सिडी बढ़ाकर 50 प्रतिशत की गई।
– गेहूं पर 160 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया गया है।
– कृषि मंडियों में कृषकों को उनकी कृषि उपज के लिए दो लाख रुपए तक की नकद भुगतान की व्यवस्था की गई है।
– जैविक खेती को बढ़ावा देने पांच साल में हर ग्राम पंचायत में गौशाला खोली जाएगी।
– शिक्षित बेरोजगार युवाओं को एक से 2.5 एकड़ भूमि प्रति हितग्राही 30 साल के लिए लीज पर उपलब्ध कराई जाएगी।