तहसीलदार की सूझबूझ से बिखरता परिवार एक हुआ


वर्षो के झगड़े पल भर में करवा दिए समाप्त , एक तहसीलदार ऐसी भी
पुश्तेनी जमीनों के मामले में कई बार आते है पेंच, चाचा और भतीजे की दूरी हुई दूर




इंदौर। कलयुग में आजकल जमीनों के मामले में बात मारने और मरने तक पहुंच जाती है, ऐसे समय भी तहसील के ऐसे अधिकारी है जो न्याय देने के साथ दिल की दूरी को भी मिटाने का कार्य करते है। ऐसा ही एक मामला तहसीलदार पल्लवी पौराणिक के कोर्ट में आया तो उन्होंने अपने अनुभव और पारिवारिक माहौल  के चलते परिवार में रहने वाले चाचा और भतीजे को आपस मे जोड़ दिया।  एक ही परिवार के सदस्य जमीन को लेकर आपस में विवाद  पर उतर आए और मामला तहसील न्यायालय तक पहुंच गया।  8 माह तक इस प्रकरण में तहसीलदार और अभिभाषकगण की पहल रंग लाई।  दोनों ने मिलकर आवेदक, अनावेदक पक्ष को समझाइश दी। उसके बाद यह मामला निपटा और दोनों ने आपसी सुलह कर एक साथ घर गए। तहसीलदार की समझाइ से लंबे समय से बिगड़े काका-भतीजे के रिश्ते फिर से जुड़ गए।
   
--  परिजनों को ही नही दिया था रास्ता

 मामला इस तरह है कि ग्राम भिंगारिया की पुश्तैनी जमीन जो आपसी बंटवारे के बाद तीन अलग-अलग लोगों के मध्य बंाट गई, इस आपसी बंटवारे में अगली जमीन के मालिक ने पिछले हिस्से में जाने वाले अपने परिजनों को जाने के लिए रास्ता नहीं दिया, जो विवाद का कारण बना। मामले में 11 मार्च को हजारीलाल पिता पन्नालाल ने अपने भतीजे विक्रम पिता भागीरथ के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई और रास्ता विवाद को लेकर तहसील न्यायालय में आवेदन दिया।  आवेदन में उन्होंने यह कहा कि उनका भतीजा उन्हें आने-जाने के लिए रास्ता नहीं देता है। रोकने का प्रयास करता है ।  इस मामले में कई बार विवाद हो चुका है। विक्रम का कहना था कि उसके काका ने झूठा आवेदन दिया है। वे पहले ही अपनी जमीन का हिस्सा ले चुके हैं। ये आम रास्ता नहीं है । हमने तो परिवार के होने के कारण ही रास्ता दिया था।
बॉक्स--  समझाइश के बाद सुलझा मामला
 तहसीलदार के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक ने जमीन का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जब यह मामला नहीं सुलझा तो स्वयं तहसीलदार पल्लवी पुराणिक मौके पर पहुंचीं। उन्होंने देखा कि संयुक्त खाते की यह जमीन बंटवारे के बाद अलग हुई, जिसमें पगडंडी भी नहीं थी, जिसके कारण रास्ते को लेकर विवाद सामने आया ।
     उन्होंने निरीक्षण के बाद दोनों पक्षों को बैठाकर समझाइश दी।  वहीं दोनों पक्ष  के अभिभाषक भी आपसी सुलह के लिए प्रयास करते रहे। तहसीलदार पुराणिक और अभिभाषकों की पहल आखिर रंग लाई ।  50 वर्षीय भतीजे ने अपने वृद्ध काका की मांग को मान लिया और उनका विवाद समाप्त हो गया । आपसी विवाद को लेकर जो तहसील में एक-दूसरे के प्रति नफरत लेकर हर तारीख पर उपस्थित होते थे, वे इस  सुलह के बाद साथ-साथ नजर आए और एक साथ ही घर को लौटे ।
   अब परिवार के बंटवारे खत्म हो गए। दोनों परिवार मिलकर एक साथ पहले की तरह मधुर संबंध के साथ रहने लगे हैं । तहसीलदार का कहना है कि आमतौर पर रास्ते के विवाद में निर्णय ही सामने आता है । यह पहला अवसर है जब दोनों पक्ष  मान गए और विवाद आसानी से सुलझ गया।