चार माह बाद ही हो सकेंगे प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव
भोपाल। प्रदेश में अधिकांश नगरीय निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल इस माह के अंत तक समाप्त होने के बाद भी निर्वाचन की प्रक्रिया के लिए कम से कम चार माह का समय लग सकता है। इस वजह से यह चुनाव मई-जून से पहले होने की संभावना नहीं है। फिलहाल प्रदेश में अभी मतदाता सूचियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण का काम चल रहा है, जिसका प्रकाशन 7 फरवरी को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाएगा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकायों में उसके आधार पर मतदाता सूची तैयार करेगा। उधर सरकार द्वारा निकायों के संचालन के लिए नित नई-नई समितियों का गठन करने और अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा पार्षदों को चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित करने की परिपाटी का फायदा उठाया सकता है। प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में लगने वाले समय को देखते हुए इनके संचालन के लिए प्रशासक की जगह समितियां बनाने की प्रक्रिया सरकार ने प्रारंभ कर दी है। साथ ही जिन नगरीय निकायों में कांग्रेस को चुनाव जीतने की उम्मीद नहीं है, उनके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षद को अयोग्य घोषित करने से भी विवाद बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह है अयोग्य घोषित किए गए व्यक्ति हाईकोर्ट की शरण ले सकते हैं और उससे उस क्षेत्र का चुनाव कराने में समय लगेगा। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसके मद्देनजर विधि एवं विधायी विभाग से अभिमत मांगा था। विभाग ने इसे न्याय संगत करार देते हुए फैसला सरकार के ऊपर छोड़ दिया है।
निर्वाचन आयोग को है 7 फरवरी का इंतजार
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा वर्तमान में मतदाता सूचियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण का कार्य किया गया है। अब दावे-आपत्ति बुलाए जाएंगे और 7 फरवरी को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। उसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकायों में इस मतदाता सूची के हिसाब से अपना मिलान करेगा और फिर निकायों की मतदाता सूची प्रकााशित की जाएगी। इसके चलते लगता है कि मई-जून से पहले प्रदेश में निकाय चुनाव नहीं कराए जा सकेंगे।
अगले माह तक समाप्त हो जाएगा अधिकांश का कार्यकाल
फरवरी के दूसरे पखवाड़े में प्रदेश के अधिकांश निकायों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। वार्ड परिसीमन के लगभग 40 प्रस्ताव विभाग को मिले हैं। इसकी मियाद समाप्त हो चुकी है। आरक्षण प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमेेंं अभी एक माह का समय लगने की संभावना है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वार्ड परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतदाता सूची तैयार करने का काम राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाएगा। इस अवधि तक निकायों के सामान्य कामकाज के संचालन के लिए पांच-छह लोगों की समिति बनाने का प्रस्ताव है। विधि विभाग को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
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