कृषि क्षेत्र को राहत पैकेज में कुछ भी नहीं ......पुरानी घोषणाओं को ही दोहराया
आधे के करीब रोजगार के अवसर पैदा करने वाले कृषि क्षेत्र को राहत पैकेज में कुछ भी नहीं ......पुरानी घोषणाओं को ही दोहराया

 


राहत पैकेज में कृषि क्षेत्र की उपेक्षा


  देश में 43% रोजगार कृषि पर निर्भर, इसके बावजूद मेगा राहत पैकेज से किसान को कुछ खास नहीं



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नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस एग्रीकल्चर पर भी फोकस रही, लेकिन 20 लाख करोड़ के 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' पैकेज से उन्हें कुछ खास नहीं मिला। उन्होंने कहा कि 3 करोड़ किसानों को पहले ही 4 लाख करोड़ की राहत मिल चुकी है। मार्च में नाबार्ड के जरिए ग्रामीण बैंकों को पैसा मुहैया कराया गया, ताकि ये ऋण दिए जा सकें। वहीं, किसानों को 31 मई तक ब्याज की छूट मिलेगी। बता दें कि देश की 70 फीसदी आबादी और 43% रोजगार कृषि पर निर्भर हैं।


प्रेस कॉन्फ्रेंस की प्रमुख बातें


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मौजूद केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा 2014 में मोदी जी ने अपने सबसे पहले भाषण में कहा था कि उनकी सरकार वो, जो गरीबों के लिए सोचे, गरीबों की सुनें, गरीबों के लिए जिए, और इसीलिए नई सरकार देश के गरीबों, युवाओं और महिलाओं को समर्पित है। गांव, गरीब, पीढ़ित, वंचित ये सरकार उनके लिए है। हमें गरीब से गरीब आदमी की मदद करनी है।पीएम



  • किसान सम्मान से हर किसान के खाते में 6 हजार रुपए डाले।

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिड कार्ड, हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं दीं।

  • देश के 22 करोड़ से ज्यादा गरीबों का हेल्थ इंश्योरेंस कराया गया।

  • गरीबों के बैंक खाते खुलवाए और उनके खाते में डायरेक्ट पैसे भेजे गए।


किसे मिलेगा?


देश की 70 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। देश में 43% रोजगार भी कृषि पर निर्भर हैं। सरकार ने आज जो 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' पैकेज को लेकर घोषणाएं की उससे 5.5 करोड़ किसानों को फायदा होगा।


क्या मिलेगा?



  • 3 करोड़ किसानों के लिए 4 लाख 22 हजार करोड़ का कृषि ऋण पहले ही दिए जा चुके हैं।

  • 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड की मंजूरी दी है, जिस पर ऋण की लिमिट 25 हजार करोड़ रुपए होगी।

  • गांव में कॉपरेटिव बैंक रूरल और रीजनल बैंक रूरल को मार्च 2020 में नाबार्ड ने 29 हजार 500 करोड़ रुपए के रिफाइनेंस का प्रावधान किया है।

  • ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4,200 करोड़ रुपए का सहयोग रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के माध्यम से राज्यों को मार्च में राशि उपलब्ध कराई गई।


कितना मिलेगा?



  • किसानों को दिए गए ऋण पर इस बात की छूट दी गई है कि 3 महीने तक किसी तरह का ब्याज नहीं देना है।

  • कृषि के क्षेत्र में पिछले मार्च और अप्रैल महीने में 63 लाख ऋण मंजूर किए गए। जिसकी अमाउंट लगभग 86 हजार 600 करोड़ रुपए है।

  • फसल की खरीद के लिए 6,700 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी भी राज्यों को उपलब्ध कराई गई।


कब मिलेगा?


लॉकडाउन की शुरुआआ से ही किसानों को ये सुविधाएं दी जा रही हैं, जो इसी तरह आगे भी जारी रहेंगी।


एक्सपर्ट व्यू


हेमेंद्र माथुर (आईआईएम अहमदाबाद द्वारा स्थापित भारत इनोवेशन फंड के पार्टनर) ने बताया कि बहुत अच्छा पैकेज है। किसान कठिनाई में हैं। छोटे और मझोले किसानों को केंद्र में रखा है। ब्याज देने में थोड़ी राहत है। यह सकारात्मक कदम है। किसानों को तरलता का चैलेंज सबसे बड़ा है। फसलों की कीमतें कम हो गई थीं। 10 से 40 प्रतिशत कीमतें गिरी हैं। पोल्ट्री सेक्टर काफी बुरे हाल में है। फिशरमैन की भी हाल बहुत बुरी है। सरकार को इस समय का उपयोग रिफॉर्म के रूप में किया जाए।

दूसरी तरफ, आरएमएल एग्रोटेक के राजीव तेवतिया (सीआईआई में एग्री मेंबर) ने कहा कि इसका लाभ किसानों को और छोटे दुकानदारों को भी मिला है। इससे विश्वास बढ़ेगा, लोग अपने बिजनेस शुरू करेंगे। अपने कामों कामों पर इससे जुटना चाहिए। सभी को मिलकर आगे बढ़ना होगा। पैकेज सही दिशा में है। भारतीय कृषि को अगले स्टेज पर ले जाने के लिए सरकार को डिजिटल प्रयोग करना चाहिए। कुछ रिफार्म को आगे बढ़ाना चाहिए।


सरकार को क्यों घोषणाएं करनी पड़ी


बिजनेस-फैक्ट्री बंद होने से कृषि पर दवाब बना : कोरोनावायरस के चलते देश में सभी तरह के बिजनेस और फैक्ट्रियां बंद हैं, या फिर उनकी रप्तार भी धीमी हो गई है। ऐसे में कृषि पर ज्यादा दवाब आया है। केंद्र सरकार ने एग्रीकल्चर और इससे जुड़े क्षेत्रों को लॉकडाउन से छूट दी, ताकि खाद्य वस्तुओं की कोई कमी नहीं हो। देश की कुल जीडीपी में कृषि का 3 फीसदी योगदान है, लेकिन 43 फीसदी लोगों को इससे रोजगार मिलता है।


2019-20 में जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडेड) में कृषि का योगदान घटकर 16.5% हो गया, जो 2014-15 में 18.2% था। गिरावट का मुख्य कारण 2014-15 में 11.2% से 2017-18 में 10% तक फसलों के GVA की हिस्सेदारी में कमी के कारण हुई।


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कृषि से भारत की जीडीपी: भारत में कृषि से जीडीपी 2019 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2020) में बढ़कर रिकॉर्ड 60 लाख 91 हजार करोड़ रुपए हो गई। 2019 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2019) में 36 लाख 64 हजार करोड़ रुपए थी। भारत में कृषि जीडीपी 2011 से 2019 तक औसतत 41 लाख 91 हजार करोड़ रुपए रही है। 2011 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2011) में रिकॉर्ड 26 लाख 90 करोड़ रुपए सबसे कम थी।


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कृषि से रोजगार: वर्ल्ड बैंक कलेक्शन ऑफ डेवलपमेंट इंडिकेटर्स के सोर्स के अनुसार भारत में कृषि में रोजगार (कुल रोजगार का %) 2019 में 43.21% था।


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कृषि निर्यात: भारत में कृषि उत्पादों का निर्यात जनवरी में घटकर 21 हजार करोड़ रुपए हो गया, जो 2019 के दिसंबर में 23 हजार करोड़ रुपए था। भारत में कृषि उत्पादों के निर्यात में 1991 से 2020 तक औसतन 8 हजार करोड़ रहा है। 2019 के मार्च में ये रिकॉर्ड 28 हजार करोड़ रुपए के उच्च स्तर तक पहुंच गया था। वहीं, 1991 के अक्टूबर में करीब 500 करोड़ रुपए सबसे कम था।


कौन होते हैं सीमांत किसान


जिन किसानों के पास 1 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि होती है, ऐसे किसानों को सीमांत किसान कहा जाता है। 2010-11 की कृषि जनगणना के मुताबिक भारत में किसानों की कुल जनसंख्या में सीमांत किसान परिवारों की हिस्सेदारी 67.04 फीसदी है। इसमें भी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उन किसानों की है जिनके पास आधा हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि है। 2000-01 की जनगणना के मुताबिक भारत में किसानों के पास औसत कृषि योग्य भूमि 0.40 हेक्टेयर थी जो 2010-11 में घटकर 0.38 हेक्टेयर पर आ गई है।