स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने 4000 से अधिक पेड़ों को खत्म कर दिया

4000 पेड़ों की मौत का जिम्मेदार कौन




भोपाल, मनोज विजयवर्गीय विकास जब विनाश का पर्याय बन जाए तो यह किसी काम का नहीं होता। हाल ही में आए एक शोध में पता चला था कि जिन जिलों के आसपास वन या हरियाली है, वहां कोरोना कुछ नहीं कर सकता। भोपाल में संक्रमण के जिस तरह के हालात हैं, उसमें हरियाली कुछ काम आ सकती थी, मगर विकास की अंधी दौड़ में इसका ख्याल ही नहीं रखा गया। स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने पर्यावरण अनुमति की एक गड़बड़ी के चलते 4000 से अधिक पेड़ों को बेवजह खत्म कर दिया। शहर को स्मार्ट बनाने के नाम पर कबाड़ा करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी गई। अब जबकि एनजीटी की नजर इस ओर पड़ी तो अफसरों के हाथ-पंाव फूले हैं और जवाब किसी को नहीं सूझ रहा। 4 हजार पेड़ों को काटे जाने पर अफसरों को 28 मई को एनजीटी के सामने हाजिर होना है। उसकी कु-दृष्टि से बचने के लिए लीपापोती की तैयारी शुरू कर दी गई है।
8.5 फीसदी हरियाली कर दी खत्म
अब स्मार्ट सिटी को नए सिरे से पूरी प्लानिंग करना है, जिसमे 8.5 फीसदी हरियाली बढ़ानी होगी। यह वह कारनामा है जिसे अफसरों ने अंजाम दिया है। अब उन्हें ही इस गलती को सही करना होगा। एबीडी का लेआउट नए सिरे से मंजूर कराने के बाद एनजीटी में इसे दाखिल करना होगा। वैसे अफसरों की इस कारगुजारी के खिलाफ पर्यावरणविद और आम लोग लामबंद होने लगे हैं। गलतियों की वजह से इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को खत्म करने वालों पर कार्रवाई की मांग उठ रही है। तत्कालीन अफसरों की पूरी जांच कराने की मांग उठने लगी है। लोगों का कहना है कि प्रोजेक्ट के जिन बिंदुओं में गड़बड़ी है उनकी जांच के बाद जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई की जाना चाहिए।
ऐसे की गई गड़बड़ी
बताया जा रहा है कि नॉर्थ टीटी नगर की 342 एकड़ जमीन को एरिया बेस्ड डेवलपमेंट फार्मेट पर विकसित किया जा रहा है। 25 जून 2016 तक प्रोजेक्ट की फीजिबिलिटी रिपोर्ट ही तैयार नहीं की जा सकी थी। इसके चलते एबीडी मास्टर प्लान को जानबूझकर लेट किया गया। फिर एबीडी का मास्टर प्लान बनाने के लिए तय एजेंसी ने भौतिक सत्यापन तक करना जरूरी नहीं समझा।
क्यों खड़ी हुई दिक्कत
कहा जा रहा है कि निजी संपत्तियों को मास्टर प्लान में शामिल कर मंजूरी दी गई। अब यही गड़बडिय़ां इस प्रोजेक्ट के लिए दिक्कत बन रही है और अफसरों के लिए यही परेशानी का सबब बन रहा है। लापरवाही का आलम यह है कि हरियाली बचाने के नाम पर एबीडी प्रोजेक्ट को शिवाजी नगर से टीटी नगर में शिफ्ट किया गया, लेकिन जनमत संग्रह तक नही हुआ। इसी तरह टीटी नगर दशहरा मैदान और टीटी नगर स्टेडियम को ग्रीन स्पेस में शामिल कर स्मार्ट सिटी में टीटी नगर में 6080 पेड़ों को काटने की पूरी योजना बना ली।