पीली इल्ली के हमले से सोयाबीन पर संकट
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भोपाल, । मध्यप्रदेश देश का वह प्रदेश है जहां सर्वाधिक सोयाबीन का उत्पादन होता है। इसे किसानों के लिए पीला सोना भी कहा जाता है , लेकिन इस बार यही फसल किसानों के लिए मुसीबत बन रही है। इसकी वजह है इस फस्ल पर बड़ी संख्या में पीली इल्ली का हमला होना। इसके चलते सोयाबीन की फलियां अंदर से खोखली हो गई हैं, जबकि वे बाहर से अच्छी दिख रही है। पीली इल्ली के हमले की वजह से सोयाबीन बेल्ट के रूप में प्रसिद्ध होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा, सीहोर, भोपाल, देवास, हरदा, बैतूल, छिंदवाड़ा, सागर, नरसिंहपुर आदि जिलों में यह फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। हालात यह हैं कि राजधानी से सटे सीहोर, बुधनी, आष्टा, नसरुल्लागंज, देवास में सोयाबीन की फसल पूरी तरह से पीली पड़ गई है और अफलन (फलियां नहीं लगना) की स्थिति में आ गई है। इसी तरह से रायसेन और विदिशा जिलों में सोयाबीन बुरी तरह से पीला होने के साथ ही उसकी पत्तियों में छेद हो चुके हैं। यह इल्लियों के हमले की वजह से हुआ है।
मुआवजे की मांग : सोयाबीन फसल की बर्बाद होने के मामले में किसानों के संगठनों द्वारा मुआवजे की मांग शुरू कर दी गई है। इस मामले में भारतीय किसान यूनियन की ओर से प्रदेशभर में प्रदर्शन के बाद ज्ञापन भी सौंपे गए हैं। यूनियन के अध्यक्ष सुरेश पाटीदार का कहना है कि बारिश और यलो मोजेक से बर्बाद फसल का सर्वे जिलों में पार्टी के प्रभाव के हिसाब से किया जा रहा है। इसके साथ ही सर्वे की गति बेहद मंद है , जबकि गांव में यूनिट मानकर सर्वे किया जाना चाहिए।
मूंग और उड़द भी चपेट में : सोयबीन के अलावा पीली इल्ली ने जबलपुर सहित प्रदेश के कई इलकों में मूंग तथा उड़द की फसल पर भी हमला किया है। इससे इन दोनों ही फस्लों में करीब 25 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक घटिया बीजों के इस्तेमाल की वजह से यह प्रभाव सामने आ रहा है। जबलपुर संभाग के जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, डिण्डौरी आदि जिलों में पीला मौजेक का बहुतायत असर दिख रहा है। बताया जाता है कि यह बीमारी एक मक्खी नुमा कीड़े के कारण खेतों में आती है , जिससे पीधे में पीलापन आता है। इसके बाद फसल सड़ कर बर्बाद हो जाती है।